Best IAS UKPSC Coaching in Dehradun

न्यायिक नियुक्तियों की आदर्श व्यवस्था कितनी दूर?

न्यायिक नियुक्तियों की आदर्श व्यवस्था कितनी दूर?

 
यह संविधान के एक साधारण ज्ञान का विषय है कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है लेकिन इस कानून की संवैधानिकता तय करने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है। फिर जब सर्वोच्च न्यायालय ने 99वें संविधान संशोधन विधेयक को असंवैधानिक और निरस्त घोषित कर दिया, तो ऐसा क्या खास हो गया कि हंगामा बरपा गया। केंद्रीय विधि मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम हैरान हैं’’। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस फैसले को ‘त्रुटिपूर्ण’ करार दिया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इसे ‘‘अनिर्वाचितों की तानाशाही’’ कहा।
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी संविधान संशोधन अधिनियमों के विरुद्ध फैसले दिए हैं लेकिन इस बार की खास बात यह है कि पहली बार किसी संशोधन अधिनियम का पूर्णरूपेण निरस्तीकरण किया गया है। इसके पहले प्रत्येक बार निरस्तीकरण आंशिक रहा है। एक विशेष बात यह भी है कि यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी ही प्रधानता की स्थापना हेतु दिया है।

Exit mobile version