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बाघों को बचाने में तीसरे नंबर पर खिसका उत्तराखंड

कर्नाटक भी पहले के बजाय दूसरे स्थान पर लुढ़क गया। उत्तराखंड दूसरे स्थान के लिए कर्नाटक से करीब चार प्रतिशत अंकों से पिछड़ गया। बाघों के बढ़ने के साथ राज्य की चुनौती में भी इजाफा हो गया है। वन मंत्री हरक सिंह रावत के साथ ही वन विभाग के अधिकारी भी यह चिंता जाहिर कर रहे हैं। कार्बेट में बाघ अब वहन क्षमता की सीमा तक पहुंच चुके हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 2018 की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 102 बाघ बढे़ हैं। अब इनकी संख्या 442 हो चुकी है। हालांकि, उत्तराखंड में बाघ बढ़े, पर प्रदेश दूसरे से तीसरे स्थान पर लुढ़क गया। देश में बाघों की वृद्धि का प्रतिशत 33.3 प्रतिशत दर्ज किया गया है।

देश के कुल 20 राज्यों में बाघ हैं। 2014 में बाघों की गणना देश भर में हुई थी। तब बाघ संरक्षण में कर्नाटक को पहला स्थान मिला था। कर्नाटक में 406 बाघ दर्ज किए गए थे। उत्तराखंड दूसरे स्थान पर रहा। यहां 2014 में 340 बाघ दर्ज किए गए थे। 

राज्यों का प्रदर्शन

-मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ पहले स्थान पर रहा। यहां बाघों के संरक्षण में 2014 के मुकाबले 2018 में 70.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। वहां 2014 में 308 बाघ थे। 

-कर्नाटक ने 524 बाघों के साथ दूसरा स्थान हासिल कर लिया। कर्नाटक ने 29.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की।

– उत्तराखंड ने बाघों के संरक्षण में 25.1 प्रतिशत वृद्धि की। 

नंधौर अभयारण्य बाघों को रास आया  
उत्तराखंड में बाघों की वृद्धि में पश्चिमी वृत्त के नंधौर वन्यजीव अभयारण्य का भी योगदान है। नंधौर वन्यजीव अभयारण्य में 2014 की गणना के मुकाबले 2018 में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई। 2014 में अभयारण्य में 11 बाघ थे, जबकि 2018 में बाघों की संख्या बढ़कर 27 हो गई।    

उत्तराखंड में बाघ 

वर्ष   संख्या
2018442
2014 340
2011 227
2010    199
2008179

दो साल में 16 बाघों की मौत
गैर सरकारी संगठन डब्ल्यूपीएफआई के मुताबिक उत्तराखंड में दो साल में 16 बाघों की मौत हुई है।  इनमें 2018 में नौ और 2019 में सात बाघ शामिल हैं। इसमें शिकार और स्वाभाविक मौत के आंकडे़ शामिल हैं।

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