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Lakhwar project pact inked among 6 states ,dehradun uttarakhand

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जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में प्रस्तावित चार हजार करोड़ रुपए की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना के पूरा होने से दिल्ली के साथ ही हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में यमुना तट पर बसे शहरों में जल संकट दूर हो जाएगा।
गडकरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में यहां इस परियोजना के जल बंटवारे जैसे कई मुद्दों को लेकर हुए समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के कारण दिल्ली में अगले दो ढाई दशक में जल का संकट पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि नया साल शुरु होने के बाद हर बार राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पानी की दिक्कत बढ़ने लगती है। नदियों का जल स्तर घटने से जल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती है लेकिन इस बहुद्देश्यीय परियोजना के पूरा होने पर इन राज्यों के यमुना तट पर बसे सभी शहरों में पेय जल संकट नहीं रहेगा और देश की राजधानी दिल्ली को पर्याप्त रूप से पीने का पानी मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में पानी की कमी नहीं है लेकिन पानी के प्रबंधन की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान को जाने वाले पानी का सही से प्रबंधन किया जाए तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में जल संकट को दूर किया जा सकता है।
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना को वित्त आयोग ने 1976 में मंजूरी प्रदान कर दी थी लेकिन अब यह योजना और महत्वपूर्ण हो गयी है। यमुना में जब पानी नहीं होता है इस बांध के बनने से इसकी झील का पानी दिल्ली जैसे राज्यों को मिलेगा और पेयजल संकट को कम किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों के सवालों पर कहा कि यह महत्वपूर्ण परियोजना है और इसमें 90 प्रतिशत धनराशि केंद्र देगा तथा शेष दस प्रतिशत राशि परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस परियोजना के पूरा होने से समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे सभी छह राज्यों को लाभ मिलेगा और देश में बिजली तथा जल संकट को दूर करने में यह परियोजना लाभकारी साबित होगी।
लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना के निर्माण के लिए करीब चार दशक पहले वित्त आयोग की मंजूरी मिल गयी थी और उसके बाद 1994 में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के बीच इसके निर्माण के लिए सहमति बनी थी। उस समय तक उत्तराखंड राज्य का निर्माण नहीं हुआ था और बांध निर्माण क्षेत्र उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। परियोजना को वर्ष 2009 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।
उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर बन रही लखवाड़ परियोजना पर 3966 करोड़ 51 लाख रुपये की लागत आने की उम्मीद है। लखवाड़ परियोजना के तहत 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध के जल से 33 हजार 780 हेक्टेयर भूमि की ङ्क्षसचाई की जा सकेगी। लखवाड़ परियोजना के निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा और इससे 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। परियोजना के पूरा होने से यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा। परियोजना के कुल खर्च का 90 फीसदी केन्द्र सरकार देगी और शेष दस प्रतिशत राशि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले छह राज्यों द्वारा दी जाएगी और उसी के हिसाब से उन्हें ङ्क्षसचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना से मिलने वाले पानी का बंटवारा सभी छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को हुए समझौता के तहत किया जाएगा।
करीब चार हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388 करोड़ 28 लाख रुपये का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी और इसमें तैयार बिजली का पूरा लाभ उत्तराखंड को ही मिलेगा। परियोजना से जुड़े ङ्क्षसचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578 करोड़ 23 लाख रुपये के खर्च का 90 प्रतिशत (2320 करोड़ 41 लाख रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी, जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जायेगा। इसमें हरियाणा को 123 करोड़ 29 लाख रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड प्रत्येक राज्य को 86 करोड़ 75 लाख रुपये, राजस्थान को 24 करोड़ आठ लाख रुपये, दिल्ली को 15 करोड़ 58 लाख रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को आठ करोड़ 13 लाख रुपये देने होंगे।

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