जल प्रबंधन में बेहतर हो रहे राज्य, अभी भी लक्ष्य से बहुत पीछे: नीति आयोग
NITI Aayog releases Report on the Composite Water Management Index 2.0
To supplement the efforts of Jal Shakti Ministry, NITI Aayog has prepared the second Round of Composite Water Management Index (CWMI 2.0).The Report was launched today by Shri Gajendra Singh Shekhawat, Minister of Jal Shakti, and Dr. Rajiv Kumar, Vice Chairman, NITI Aayog.
Shri Ramesh Chand, Member, NITI Aayog, Shri Amitabh Kant, CEO, NITI Aayog, Shri Parameswaran Iyer, Secretary, Jal Shakti Ministry; Shri U.P. Singh, Secretary, Jal Shakti Ministry; Dr. Amarjeet Sinha, Secretary Ministry of Rural Development; Shri Yaduvendra Mathur, Special Secretary, NITI Aayog, Shri Avinash Mishra, Adviser, Water and Land Resources, NITI Aayog and senior officials of Ministry Jal Shakti, Rural Development and NITI Aayog were also present at the launch event.
Scientific management of water is increasingly recognized as being vital to India’s growth and ecosystem sustainability. Government is being proactive about water management and has created the Ministry of Jal Shakti to consolidate interrelated functions pertaining to water management. The newly formed Jal Shakti Ministry under the guidance of Prime Minister Shri Narendra Modi has strived to over bridge the water challenges by launching the Jal Shakti Abhiyan – a campaign for water conservation and water security.
NITI Aayog first launched and conceptualized the Composite Water Management Index in 2018 as a tool to instill the sense ofcooperative and competitive federalism among the states. This was a first ever attempt at creating a pan-India set of metrics that measured different dimensions of water management and use across the lifecycle of water. The report was widely acknowledged and provided actionable guidance to States on where they were doing well absolutely and relatively and what they needed to focus on to secure their water future.
The CWMI is an important tool to assess and improve the performance of States/ Union Territories in efficient management of water resources. This has been done through a first of its kind water data collection exercise in partnership with Ministry of Jal Shakti, Ministry of Rural Development andall the States/ Union Territories.The index would provide useful information for the States and also for the concerned Central Ministries/Departments enabling them to formulate and implement suitable strategies for better management of water resources.
CWMI 2.0 ranks various states for the reference year 2017-18 as against the base year 2016-17.In the report released today, Gujarat hold on to its rank one in the reference year (2017-18), followed byAndhra Pradesh, Madhya Pradesh, Goa, Karnataka and Tamil Nadu. In North Eastern and Himalayan States, Himachal Pradesh has been adjudged number 1 in 2017-18 followed by Uttarakhand, Tripura and Assam. The Union Territories have first time submitted their data and Puducherry has been declared as the top ranker. In terms of incremental change in index (over 2016-17 level), Haryana holds number one position in general States and Uttarakhand ranks at first position amongst North Eastern and Himalayan States.On an average, 80% of the states assessed on the Index over the last three years have improved their water management scores, with an average improvement of +5.2 points.
The overall ranking for reference year 2017-18and change in the rankings from the base year 2016-17 of different States in the Report is given in Charts-1 and Chart 2.
जल प्रबंधन के मामले में राज्यों ने अपना प्रदर्शन बेहतर किया है लेकिन भारत के जल संकट से निपटने के लिए जो चाहिए, वहां तक पहुंचने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी बाकी है। नीति आयोग ने शुक्रवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जल प्रबंधन तरीकों को लेकर रैंकिंग जारी की। इस रैंकिंग में गुजरात सबसे ऊपर और दिल्ली सबसे नीचे रही जबकि सबसे ज्यादा बेहतरी हरियाणा में देखने को मिली है।
साल 2017-18 की कॉम्पजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI 2.0) में हरियाणा इस साल 7वें स्थान पर रहा जबकि पिछले साल 16वें स्थान पर था। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने CWMI 2.0 जारी किया। इसके मुताबिक 80% राज्यों ने तीन साल में अपने जल संसाधन स्कोर में इजाफा किया है।
ज्यादातर राज्यों का स्कोर 50 के नीचे
हालांकि, चिंता की बात यह है कि 27 में से 16 राज्यों का 100 में स्कोर 50 के नीचे है और यह खराब प्रदर्शन की कैटिगरी में आता है। इन राज्यों में 47% आबादी है, 40% कृषि उत्पादन और भारत का 35% आर्थिक उत्पादन होता है। इनमें दिल्ली, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान और उत्तराखंड शामिल हैं। आयोग ने कहा है कि भारत में गुजरात और मध्य प्रदेश को छोड़कर कोई भी टॉप 10 कृषि उत्पादक 60 से ज्यादा अंक हासिल नहीं कर सका है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया कि इंडेक्स को तय करने के लिए अगली बार कृषि क्षेत्र के ज्यादा मानक होने चाहिए।
9 मानकों के आधार पर तय इंडेक्स
आयोग ने यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य और दिल्ली जैसे राज्य, जो अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं, उनका इंडेक्स काफी कम है। बता दें कि यह इंडेक्स 9 मानकों के आधार पर तय होता है-जल संसाधन को पुनर्जीवित करना, भूमिगत जल के स्रोतों में बढ़ोतरी, सिंचाई के सप्लाइ-साइड का प्रबंधन, वॉटरशेड डिवेलपमेंट, सिंचाई में भागीदारी, खेतों में पानी के इस्तेमाल के सतत तरीके, ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी, शहरी इलाकों में पानी की सप्लाइ और सैनिटेशन और नीति और प्रशासन।
यूं मिलेगी मदद
CWMI की मदद से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। नीति आयोग का कहना है कि इंडेक्स से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अहम जानकारी मिलेगी और केंद्रीय मंत्रालयों को भी बेहतर प्रबंधन के लिए नीतियां बनाने और लागू करने में मदद होगी। वहीं, CWMI 2.0 से यह भी पता लगा है कि कैसे बड़े कृषि उत्पादक जल संसाधनों के प्रबंधन में संघर्ष कर रहे हैं। इससे खाद्य सुरक्षा पर खतरा है।