कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। बर्तवाल जी के परिजनों ने बद्रीनाथ जी की आरती की पांडुलिपि भेंट की जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है। धन सिंह जी के परिवार ने हमारी प्राचीन सभ्यता को संजोकर रखने का सराहनीय प्रयास किया है।
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..सोरघाटी (पिथौरागढ़) की बेटी शीतल ने बृहस्पतिवार को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) को फतह कर जिले के साथ ही उत्तराखंड और देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने नेपाल के दक्षिणी छोर से चढ़ाई कर बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे माउंट एवरेस्ट में भारतीय ध्वज फहराया।
शीतल से पहले पिथौरागढ़ जिले के लवराज धर्मशक्तू सात बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। इस जिले के मोहन सिंह गुंज्याल, योगेश गर्ब्याल, सुमन कुटियाल दताल, रतन सिंह सोनाल, कविता बुढ़ाथोकी एवरेस्ट की चोटी को फतह कर चुकी हैं।
शीतल बुधवार की रात 9 बजे 8000 मीटर की ऊंचाई में स्थित कैंप-4 से एवरेस्ट की चोटी के लिए निकली थीं। बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर विजय पा ली। शीतल बीते एक मई को दिल्ली से एवरेस्ट अभियान पर निकली थीं। वह 5 मई को एवरेस्ट के बेस कैंप को रवाना हुईं। 15 मई तक बेस कैंप में क्लाइंबिंग का अभ्यास किया।
7 बार के एवरेस्ट विजेता लवराज धर्मशक्तू, नंदा देवी चोटी को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला चंद्रप्रभा ऐतवाल को आदर्श मानने वाली शीतल अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता सपना देवी को देती हैं, जिन्होंने विषम परिस्थिति में उनका साथ दिया।