क्या है क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी और इसका महत्व
साल 2012 में शुरू हुआ क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत का 10 सदस्यीय आसियान गुट के साथ एक व्यापार समझौता है।
चीन के नेतृत्व में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) दुनिया की सबसे बड़ी व्यापार साझेदारी बनने की तरफ अग्रसर है। यह साझेदारी एशियाई कारोबार में चीन के प्रभुत्व को चिन्हित करती है और यह दुनिया की आधी आबादी से जुड़ी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इस साझेदारी से अमेरिका बाहर है। इस बहुप्रतिक्षित व्यापार साझेदारी पर सप्ताहांत में बैंकॉक में होने वाले एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस के नेताओं की बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है।
साल 2012 में शुरू हुई क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत का 10 सदस्यीय आसियान गुट के साथ एक व्यापार साझेदारी है। यह दुनियाभर के 3.4 अरब लोगों को आपस में जोड़ता है और अगर इस समझौते पर हस्ताक्षर होता है तो यह सबसे बड़ी मुक्त व्यापार साझेदारी होगी। इसके दुनियाभर के एक तिहाई निर्यात को कवर करने की भी उम्मीद है।
इसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को खत्म करना और निवेश को बढ़ावा देना है, ताकि उभरती अर्थव्यवस्थाएं बाकी दुनिया के साथ ताल से ताल मिलाकर चल सके। यह इसलिए ज्यादा अहम है, क्योंकि इसमें अमेरिका शामिल नहीं है और इसका नेतृत्व चीन कर रहा है।
प्रेक्षकों का मानना है कि यह साझेदारी चीन के प्रभुत्व को उसके पड़ोसी देशों के बीच और मजबूत करेगी, जहां उसे अमेरिका से न के बराबर प्रतिस्पर्धा मिलती है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने व्यापार समझौते को वापस ले लिया है।
यह ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) था, जो दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता बनने की तरफ अग्रसर था, लेकिन वॉशिंगटन ने इस समझौते से अपना हाथ यह कहकर वापस खींच लिया कि इससे अमेरिका में रोजगार में कमी आएगी।
अब अमेरिका का कहना है कि वह आसियान देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और वह इस क्षेत्र से वापस नहीं हो रहा है। लेकिन, अमेरिका के चीन के साथ ट्रेड वॉर में उलझने से आरसीईपी के समर्थकों को उम्मीद हैं कि यह समझौता अब जल्द ही पूरा हो जाएगा।