पर्यावरणविद श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी जी के निधन

मुख्यमंत्री श्री Trivendra Singh Rawat ने पर्यावरणविद श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी जी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वृक्षमानव के नाम से प्रसिद्ध टिहरी में जन्मे श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी जी अनन्य प्रकृति प्रेमी, वृक्ष मित्र, पर्यावरण संरक्षक के साथ ही आजीवन पर्यावरण रक्षा के लिए प्रयासरत रहे।वृक्ष माता-पिता हैं, हमारी संतान हैं, हमारे सगे साथी हैं, का नारा देने वाले वृक्षमानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी नहीं रहे। इस पहाड़ के मांझी ने 50 लाख से अधिक पेड़ लगाकर अपना पूरा जीवन प्रकृति को समर्पित कर दिया था।उन्होंने बांज, बुरांश, सेमल, देवदार का घना जंगल तैयार कर सकलाना क्षेत्र के बंजर इलाके की तस्वीर बदल दी। इसी का नतीजा है कि आज भी क्षेत्र में प्राकृतिक जल धाराएं ग्रामीणों की प्यास बुझा रही हैं।
सकलाना पट्टी के पुजार गांव में जन्मे वृक्ष ऋषि विशेश्वर दत्त सकलानी का जन्म दो जून 1922 को हुआ। बचपन से ही बाप-दादा की पर्यावरण संरक्षण की कहानियां सुनकर विशेश्वर दत्त को प्रकृति प्रेम की प्रेरणा मिली।यही कारण है कि उन्होंने आठ साल की छोटी सी उम्र से पेड़ लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया। देश की आजादी की खातिर उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
उनकी कड़ी मेहनत के बाद सकलाना घाटी की तस्वीर बदल गई। दरअसल, छह-सात दशक पूर्व तक यह पूरा इलाका वृक्ष विहीन था। धीरे-धीरे उन्होंने बांज, बुरांश, सेमल, भीमल और देवदार के पौधे लगाना शुरू किया।
पुजार गांव में बांज, बुरांश का मिश्रित सघन खड़ा जंगल आज भी उनके परिश्रम की कहानी को बयां कर रहा है। विशेश्वर दत्त सकलानी को 19 नवंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।

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