Eco tourism in uttarakhand : present and government effort to promote it.
इको टूरिज्म को उत्तराखंड में लगे पंख
#UKPCSMATERIAL
पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ स्थानीय समुदाय की सहभागिता के आधार पर उत्तराखंड में संचालित इको टूरिज्म :पारिस्थितिकीय पर्यटन: गतिविधियों में पर्यटकों की रूचि बढ़ती जा रही है और पिछले वर्ष पांच लाख से ज्यादा लोग इनका आनंद उठाने के लिये प्रदेश में पहुंचे । उत्तराखंड वन विभाग का मानना है कि बाघों के लिये मशहूर कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और एशियाई हाथियों के आवास के रूप में प्रसिद्ध राजाजी राष्ट्रीय पार्क समेत राज्य के सभी संरक्षित वन क्षेत्रों में अनूठी जैव विविधता की मौजूदगी के चलते इको—टूरिज्म की अपार संभावनायें
पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ स्थानीय समुदाय की सहभागिता के आधार पर उत्तराखंड में संचालित इको टूरिज्म :पारिस्थितिकीय पर्यटन: गतिविधियों में पर्यटकों की रूचि बढ़ती जा रही है और पिछले वर्ष पांच लाख से ज्यादा लोग इनका आनंद उठाने के लिये प्रदेश में पहुंचे ।
…………………………………उत्तराखंड वन विभाग का मानना है कि बाघों के लिये मशहूर कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और एशियाई हाथियों के आवास के रूप में प्रसिद्ध राजाजी राष्ट्रीय पार्क समेत राज्य के सभी संरक्षित वन क्षेत्रों में अनूठी जैव विविधता की मौजूदगी के चलते इको—टूरिज्म की अपार संभावनायें पैदा हो रही हैं । प्रदेश के वन क्षेत्रों में बाघ, एशियाई हाथी, तेंदुआ, कस्तूरी मृग, हिमालयी काला भालू, मोर, तीतल, गिद्ध और मोनाल की उपस्थिति के अलावा काफी संख्या में शीतकालीन प्रवासी पक्षी भी आते हैं जो इसे इको टूरिज्म का अच्छा गंतव्य बनाते हैं ।
भारत में पायी जाने वाली पक्षी प्रजातियों की आधे से अधिक यानी 710 प्रजातियां अकेले उत्तराखंड में ही दर्ज की गयी हैं और इसलिये प्रदेश को ‘पक्षियों का स्वर्ग’ भी कहा जाता है ।
प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया, ‘राज्य में इको टूरिज्म को राजस्व अर्जन के साथ ही स्थानीय निवासियों की आय में वृद्धि के स्रोत के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है । इको टूरिज्म को व्यवसाय के रूप में अपनाने के दृष्टिकोण से सरकार ने कंपनी एक्ट—2013 के तहत अलग से उत्तराखंड इको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन का गठन किया है ।’
उन्होंने बताया कि इस कारपोरेशन ने इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये पांच इको टूरिज्म सर्किट विकसित किये हैं । पहले सर्किट में देहरादून-ऋषिकेश, टिहरी गढ़वाल, धनोल्टी, रानीचौरी, टिहरी झील और काडाझाख तथा दूसरे सर्किट में हरिद्वार, कोटद्वार कण्वाश्रम, चिडियापुर, रसियाबाड, सेंधीखाल, स्नेह और कोल्हूचौड को शामिल किया गया है । तीसरा सर्किट रामनगर, नैनीताल, दिचौरी :रामनगर:, तितालिखेत तथा कौसानी का होगा जबकि चौथे सर्किट में चकराता, टौन्स, आसन बैराज, काणसर और जरमोला शामिल हैं । पांचवां सर्किट टनकपुर,चंपावत, चोरगलिया, देवीधूरा, पहाड़पानी तथा महेशखान को सम्मिलित करते हुए तैयार किया गया है ।
इनके अतिरिक्त वन क्षेत्रों में 14 इको टूरिज्म गंतव्य विकसित किये गये हैं जिनमें धनोल्टी इको पार्क, सिमतोला इको पार्क :अल्मोडा:, कौडिया इको पार्क :टिहरी:, लच्छीवाला नेचर पार्क, नीरझरना :ऋषिकेश:, हिमालय बॉटनिकल गार्डन :नैनीताल:, संजय वन :हल्द्वानी:, चौरासी कुटिया :राजाजी टाइगर रिजर्व:, जीबी पंत हाई अल्टीटयूड जू :नैनीताल:, देहरादून जू हर्बल गार्डन एवं इको पार्क :मुनस्यारी:, कार्बेट म्यूजियम :कालाढूंगी, कार्बेट फॉल :रामनगर:, बराती राव :रामनगर: शामिल हैं । प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को इको-टूरिज्म गतिविधियों के तहत वन्यजीव सफारी, कैम्पिंग, बर्ड वाचिंग, ट्रेकिंग, एंग्लिंग, नेचर वाक, बटरफलाई वॉचिंग करायी जाती है। इन गतिविधियों में पर्यटकों को होम-स्टे सुविधा उपलब्ध कराना, नेचर फेस्टिवल के आयोजन, बर्ड तथा नेचर गाइडों को प्रशिक्षण आदि के जरिये स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है जिससे उनकी आय भी हो जाती है ।
वर्ष 2017-18 में संरक्षित क्षेत्रों में 5,12,949 पर्यटकों का आगमन हुआ जिसमें से 15,984 विदेशी थे । आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित गंतव्यों में भी बडी संख्या में पर्यटक प्रकृति का आनंद लेने पहुंचे । प्रदेश में इको-टूरिज्म गतिविधियों के माध्यम से पिछले साल कुल 17.38 करोड़ रूपये का राजस्व मिला जिसमें सरंक्षित क्षेत्रों में स्थित गंतव्यों से 12 करोड़ रूपये तथा शेष 5.38 करोड़ रूपये आरक्षित वन क्षेत्रों से आए
ECO TOURISM
Uttarakhand is a biodiversity hotspot and with the Government promoting Ecotourism in the state, along with its mission of converting Uttarakhand to an eco tourism spot.
Ecotourism can be defined as a type of tourism where the environment, local community and visitor all benefit. Ecotourism typically involves travel to destinations where flora, fauna, and cultural heritage are the primary attractions. One of the goals of ecotourism is to offer tourists insight into the impact of human beings on the environment, and to foster a greater appreciation of our natural habitats.
An integral part of ecotourism is the promotion of recycling, energy efficiency, water conservation, and creation of economic opportunities for local communities.
Uttarakhand is the BEST place for Ecotourism as it has the snow capped mountains, rolling meadows, high altitude lakes, dense forests and wetland habitat support a divers and exotic wildlife, birds and plants species in Garhwal and Kumaon the two regions of Uttarakhand.
Regular travellers know that doing your homework before you leave home is the best way to make your trip an enjoyable experience – and one that is respectful of the local people and environment. Just reaching the destination can be exhausting.