Great efforts :one more site may be in unesco list from Uttarakhand

No photo description available.

Image result for mansarovar route from uttarakhand




कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख पास तक 95.5 किमी लंबी सड़क का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन की हीरक परियोजना के तहत चल रहा है। ग्रिफ ने तवाघाट से नजंग तक 26 किलोमीटर सड़क का निर्माण जनवरी में पूरा कर लिया था। घटियाबगढ़ से नजंग तक लगभग 2.5 किलोमीटर तक कठोर चट्टानों को काटने में सीमा सड़क संगठन को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। दूसरी ओर लिपुलेख पास से चार किमी पहले से बूंदी गांव तक 51 किलोमीटर लंबी सड़क की कटिंग का काम पूरा हो गया है। इस समय नजंग से मालपा और लामारी होते हुए बूंदी तक दोनों ओर से 14 किलोमीटर सड़क की कटिंग का कार्य किया जा रहा है। सीमा सड़क संगठन से मिले सूत्रों के अनुसार नजंग और बूंदी की ओर से लगभग सात किमी सड़क काटी जा चुकी है। अब सात किमी सड़क की कटिंग का कार्य शेष है। यह कटिंग पूरी होते ही लिपुलेख पास से चार किमी पहले तक सड़क संपर्क बन जाएगा।

ग्रिफ के अधिकारियों के अनुसार मालपा और लामारी से बूंदी के बीच की पहाड़ियां सबसे कठिन हैं। इन चट्टानों की कटिंग उनके लिए बड़ी जीत है। ग्रिफ को सड़क निर्माण का कार्य वर्ष 2020 तक पूरा करना है। ग्रिफ के अधिकारियों का कहना है कि यदि मौसम अनुकूल रहा तो समय पर सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा।

उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक-दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे. उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के रास्ते कैलाश मानसरोवर पहुंचने के रास्ते पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है. सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ इस काम में वायुसेना की भी मदद ले रहा है. ‘आज तक’ को मिली खास जानकारी के मुताबिक ऊंचे पहाड़ों पर सड़क बनाने के इस काम में वायुसेना के एमआई-17 और 26 हेलीकॉप्टरों का अभी इस्तेमाल किया जा रहा है. पीएमओ के अधिकारी खुद इस परियोजना पर नजर रख रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया से मंगवाई गईं मशीनें
यह सड़क सेना के सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा ऋषिकेश-अल्मोड़ा-धारचूला-लिपुलेख सीमा तक बनाई जा रही है. इसके लिए पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से विशेष अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई हैं. इन मशीनों की मदद से करीब तीन माह के अंदर 35 किलोमीटर से अधिक पहाड़ काट लिया गया है और दिन-रात तेजी से काम चल रहा है. घटियाबगढ़ से लेकर लिपुलेख तक करीब 75.54 किलोमीटर रोड का काम बीआरओ कर रहा है. लिपुलेख की तरफ 62 किलोमीटर तक रोड का काम पूरा हो चुका है. घटियाबगढ़ से आगे की तरफ पहाड़ काटकर सड़क बनाने का काम चल रहा है. हालांकि ऊँचे पहाड़ होने के वजह से मुश्किलें आ रही हैं.
मोदी सरकार के एजेंडे में कैलास मानसरोवर यात्रा
मोदी सरकार के एजेंडे में कैलास मानसरोवर की यात्रियों की सुविधा का मुद्दा हमेशा से अहम रहा है. पिछले साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे सिक्किम में नाथू ला का मार्ग खोलने का आग्रह किया था, जिसे उन्होंने तुरंत मान लिया था. इस वर्ष करीब ढाई सौ लोगों ने उस मार्ग से यात्रा की थी. लिपुलेख दर्रे के पार चीन में सीमा से मानसरोवर की दूरी महज 72 किलोमीटर है और सीमा से वहां चीन ने शानदार सड़क पहले ही बना रखी है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार की योजना धारचुला में पर्यटक आधार शिविर को विकसित करने की है, जहां से तीर्थयात्री एक दिन में ही मानसरोवर के दर्शन करके भारत लौट सकें.