How cooperative farming can change the fate of uttarakhand 's farmers

How cooperative farming can change the fate of uttarakhand ‘s farmers

प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से अगले पांच वर्षों में खेती-किसानी का कायाकल्प करने की पुख्ता तैयारियां की जा रही हैं।

  • रोजगार के अवसर उत्पन्न करने, पलायन को रोकने व किसानों की आय को दोगुना करने के लिए जल्द ही “राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना” शुरू होने जा रही है।
  • इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा 3,340 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। ‘‘खेत से बाजार तक’’ की रणनीति के तहत बनाई गई योजना की गतिविधियों से सीधे या परोक्ष तौर पर प्रदेश के 50 लाख लोगों को फायदा पहुंचेगा। जबकि 55,717 लोगों को रोजगार मिलेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के संकल्प के तहत मुख्यमंत्री श्री Trivendra Singh Rawat के निर्देश पर #Uttarakhand में महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा तैयार की गई है।

पिछले काफी समय से इस पर होमवर्क किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने सहकारिता, कृषि, उद्यान, दुग्ध, मत्स्य, पशुपालन सहित अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ काफी मंथन के बाद इस योजना को मंजूरी दी। इसमें केंद्र सरकार द्वारा भी महत्वपूर्ण सहयोग किया जा रहा है।

एनसीडीसी ने 3340 करोड़ रूपए की धनराशि स्वीकृत की है। सहकारिता के माध्यम से इस प्रकार की समेकित विकास परियोजना शुरू करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। जल्द ही इसे लांच किया जाएगा।

परियोजना के क्रियान्वयन से 11,90,707 लोग सीधे तौर पर जबकि 47,62,828 लोग परोक्ष तौर पर लाभान्वित होंगे। इसी प्रकार 21,897 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार व 33,820 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

सहकारिता विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार परियोजना के अंतर्गत

  • बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एम-पैक्स) के इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण व डिजिटाईजेशन किया जाएगा।
  • इन समितियों के माध्यम से छोटी-छोटी जोत के किसानों के साथ ही बंजर भूमि को शामिल करते हुए क्लस्टर आधार पर सामूहिक खेती की जाएगी।
  • एम-पैक्स को ही खरीद केंद्र के तौर पर विकसित किया जाएगा जहां स्थानीय उत्पादों के भण्डारण व खरीद की व्यवस्था होगी।
  • राज्य की निष्क्रिय क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को पुनर्जीवित किया जाएगा और इन समितियों के माध्यम से उत्पादों के विपणन की व्यवस्था की जाएगी।

भेड़-बकरी पालकों के लिए अलग से त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा गठित कर लिया गया है। लगभग 10 हजार भेड़ व बकरी पालकों को संगठित किया गया है। मीट उत्पादन को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाएगा और हिमालयन मीट के नाम से ब्राण्डिंग की जाएगी।

डेयरी विकास के तहत 4500 दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों को 5 से 10 इकाई देकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जाएगी।

मत्स्य उत्पादन के लिए भी त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा तैयार किया गया है। मत्स्य पालकों को ट्राउट फार्मिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए अनुकूल स्थानों पर तालाब निर्माण किया जाएगा। उत्पादन के वितरण व परिवहन का दायित्व केंद्रीय व शीर्ष संस्था का होगा।

परियोजना से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, बंजर व अनुपयोगी कृषि भूमि का उपयोग हो सकेगा। कोल्ड स्टोरेज, वेल्यू एडीशन, बैकवर्ड व फारवर्ड लिकेंज की स्थापना सुनिश्चित की जाएगी। ग्रामीणों को आधुनिक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाना, पर्यटन व होम-स्टे से रोजगार सृजन भी योजना में शामिल किया गया है।

कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन व मूल्यांकन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्री समूह की एक मार्ग निर्देशक समिति व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय अनुश्रवण व अनुमोदन समिति की व्यवस्था की गई है।

पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन से संबंधित सारी रिपोर्ट मिल चुकी है। इसके आधार पर रणनीतिक तरीके से काम किया जा रहा है जिसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा।

अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं व रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाकर न केवल पलायन को रोका जा सकता है बल्कि रिवर्स माईग्रेशन भी सम्भव हो सकता है।

बेहतर शिक्षा के लिए तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू किया गया है। लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए टेलि रेडियोलाॅजी व टेली मेडिसिन शुरू की गई है। अटल आयुष्मान योजना स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी योजना है।

इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से केवल पर्वतीय क्षेत्रों में ही 40 हजार करोड़ रूपए का निवेश किया जा रहा है। आॅल वेदर रोड सहित इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए बहुत सी महत्वपूर्ण परियोजनाएं चल रही है

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