India Ranks 130 in UN's Human Development Index, Climbs One Spot

India Ranks 130 in UN’s Human Development Index, Climbs One Spot

India Ranks 130 in UN's Human Development Index, Climbs One Spot

India Ranks 130 in UN’s Human Development Index, Climbs One Spot.The HDI is a summary measure for assessing long-term progress in three basic dimensions of human development: a long and healthy life, access to knowledge and a decent standard of living

India climbed one spot to 130 among 189 countries in the latest human development index released on Friday by the United Nations Development Programme.
Within South Asia, India’s human development index (HDI) value is above the average of 0.638 for the region, with Bangladesh and Pakistan, countries with similar population size, being ranked 136 and 150 respectively. In 2016, India’s HDI value of 0.624 put it at 131 rank.
The HDI is a summary measure for assessing long-term progress in three basic dimensions of human development: a long and healthy life, access to knowledge and a decent standard of living.
India’s HDI value for 2017 is 0.640, which put the country in the medium human development category, according to the Human Development Report (HDR) released by the United Nations Development Programme (UNDP).
Between 1990 and 2017, India’s HDI value increased from 0.427 to 0.640, an increase of nearly 50 per cent and an indicator of the country’s remarkable achievement in lifting millions of people out of poverty, the report said.
Norway, Switzerland, Australia, Ireland and Germany led the ranking, while Niger, the Central African Republic, South Sudan, Chad and Burundi have the lowest scores in the HDI’s measurement of national achievements in health, education and income.
The overall trend globally is toward continued human development improvements, with many countries moving up through the human development categories: out of the 189 countries for which the HDI is calculated, 59 countries are today in the very high human development group and only 38 countries fall in the low HDI group, it said.
Between 1990 and 2017, India’s life expectancy at birth increased by nearly 11 years, with even more significant gains in expected years of schooling. Today’s Indian school-age children can expect to stay in school for 4.7 years longer than in 1990.
Whereas, India’s gross national income per capita increased by a staggering 266.6 per cent between 1990 and 2017.
About 26.8 per cent of India’s HDI value is lost on account of inequalities.
This confirms that inequality remains a challenge for India as it progresses economically, though the government and various state governments have, through a variety of social protection measures, attempted to ensure that the gains of economic development are shared widely and reach the farthest first.
In India, despite considerable progress at the policy and legislative levels, women remain significantly less politically, economically and socially empowered than men.
“For instance, women hold only 11.6 per cent of parliamentary seats, and only 39 per cent of adult women have reached at least a secondary level of education as compared to 64 per cent males,” the report said.
Female participation in the labour market is 27.2 per cent compared to 78.8 for men, it said. “Still, India performs better than its neighbours Bangladesh and Pakistan, ranking 127 out 160 countries on the Gender Inequality Index,” the UNDP said.

मानव विकास सूचकांक रैकिंग में एक पायदान ऊपर चढ़ा भारत: UNDP

यूनाइटेड नेशंस डिवेलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की तरफ से शुक्रवार को जारी की गई ह्यूमन डिवेलपमेंट रैकिंग में कुल 189 देशों में भारत 130वें स्थान पर है। 2017 के लिए भारत का HDI वैल्यू 0.64 रहा जो मध्यम एचडीआई कैटिगरी में आता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘1990 से 2017 के बीच भारत का एचडीआई वैल्यू 0.427 से बढ़कर 0.640 हो गया है यानी इसमें करीब 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।’ UNDP ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की दिशा में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का अहम संकेतक बताया है।
क्या है मानव विकास सूचकांक
मानव विकास सूचकांक यानी ह्यूमन डिवेलपमेंट इंडेक्स (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और आय सूचकांकों का एक संयुक्त सांख्यिकीय सूचकांक है। इस मेथड को अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने तैयार किया था। पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में जारी किया गया था। तब से हर साल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा इसे प्रकाशित किया जाता है।
नॉर्वे, स्विटजरलैंड HDI रैकिंग में टॉप पर
रैकिंग में नॉर्वे, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी टॉप पर हैं जबकि नाइजर, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, साउथ सूडान, चाड और बुरुंडी काफी कम HDI वैल्यू के साथ फिसड्डी देशों में शुमार हैं। भारत का एचडीआई वैल्यू (0.640) दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से थोड़ा सा ऊपर है। भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान के एचडीआई वैल्यू क्रमशः 0.608 और 0.562 हैं। बांग्लादेश की रैकिंग जहां 136 है, वहीं पाकिस्तान की रैकिंग 150 है।
वैश्विक स्तर पर HDI में सुधार
रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर HDI इंडेक्स में सुधार हुआ है। जिन 189 देशों के एचडीआई की गणना की गई, उनमें से आज 59 देश ‘वेरी हाई ह्यूमन डिवेलपमेंट’ की श्रेणी में हैं जबकि 38 देश लो एचडीआई श्रेणी में हैं। सिर्फ 8 साल पहले 2010 में 46 देश ही उच्च एचडीआई ग्रुप में थे जबकि 49 देश निम्न एचडीआई ग्रुप में थे।
भारत में जीवन प्रत्याशा
जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टंसी) के मामले में भारत की स्थिति बेहतर हुई है। 1990 से 2017 के बीच भारत में जन्म के वक्त जीवन प्रत्याशा में करीब 11 सालों की बढोतरी हुई है। भारत में जीवन प्रत्याशा 68.8 साल है जबकि 2016 में यह 68.6 साल और 1990 में 57.9 साल थी। लैंगिक आधार पर अगर जीवन प्रत्याशा की बात करें तो भारत में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों से ज्यादा है। महिलाओं की जीवन प्रत्याशा जहां 70.4 वर्ष है, वहीं पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.3 वर्ष है। खास बात यह है कि भारत में जीवन प्रत्याशा दक्षिण एशिया के औसत से कम है। इस मामले में बांग्लादेश की स्थिति हमसे बेहतर है जहां जीवन प्रत्याशा 72.9 वर्ष है।
ज्यादा HDI वैल्यू मतलब ज्यादा जीवन प्रत्याशा
1990 से अबतक औसत वैश्विक HDI में 22 प्रतिशत का शानदार इजाफा हुआ है। इस दौरान कम विकसित देशों में तो HDI में 51 प्रतिशत का इजाफा हुआ है यानी लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। हालांकि विकसित और विकासशील देशों के बीच जीवन स्तर में बड़ा फर्क साफ दिख रहा है। नॉर्वे जैसे टॉप एचडीआई वाले देश में जन्मे एक बच्चे की जीवन प्रत्याशा 82 साल है और वह स्कूल में करीब 18 वर्ष बिताएगा। वहीं, दूसरी तरफ नाइजर जैसे रैकिंग में फिसड्डी देश में जन्मे बच्चे की जीवन प्रत्याशा सिर्फ 60 साल है और वह स्कूल में सिर्फ 5 वर्ष बिताएगा।
इयर्स ऑफ स्कूलिंग में इजाफा
भारत में स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों के स्कूलों में और ज्यादा वक्त रहने की संभावना बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक आज भारत में बच्चों के स्कूल में रहने की संभावित समयावधि 1990 के मुकाबले 4.7 साल ज्यादा है। इस बार भारत में संभावित इयर्स ऑफ स्कूलिंग 12.3 वर्ष है। पिछली बार भी यह 12.3 वर्ष थी जबकि 1990 में यह 7.6 वर्ष थी।
ग्रॉस नैशनल इनकम (GNI) में इजाफा 
रिपोर्ट के मुताबिक परचेजिंग पावर के आधार पर इस बार भारत की प्रति व्यक्ति ग्रॉस नैशनल इनकम 6,353 डॉलर (करीब 4,55,986 रुपये) है, जो पिछली बार (साल 2016 से) 327 डॉलर (करीब 23,470 रुपये) ज्यादा है। 1990 से 2017 के बीच भारत के प्रति व्यक्ति GNI में 266.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 1990 में भारत की पर कैपिटा ग्रॉस नैशनल इनकम (GNI) 1733 डॉलर (करीब 1,24,386 रुपये) थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति GNI 3,677 डॉलर तो पाकिस्तान की 5,311 डॉलर रही।
असमानता चिंता का विषय
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में असमानता अब भी इसके विकास की राह में बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके मुताबिक असमानता की वजह से भारत के HDI वैल्यू को 26.8 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। यह नुकसान दक्षिण एशियाई देशों में सबसे ज्यादा है।

महिलाएं हो रही हैं सशक्त

रीप्रॉडक्टिव हेल्थ, फैमिली प्लानिंग, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सामाजिक आर्थिक सशक्तीकरण के मामले में भारत की स्थिति तमाम देशों से बेहतर है। महिला सशक्तीकरण के लिहाज से भारत दुनिया के दो तिहाई देशों से बेहतर है।