Issues raised by CM in Governing council of NITI Ayog

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली नीति आयोग की पांचवी गवर्निंग बाॅडी की बैठक में प्रतिभाग 

Major issues raised at meeting

  • प्रदेश में जल संवर्धन एवं जल संचय के क्षेत्र में किये गये प्रयासों,
  • नदियों आदि के पानी के सोर्स का डाटा तैयार करने के साथ ही इस क्षेत्र की समस्याओं व समाधान का विवरण
  • एमएसएमई,
  • हाइड्रोपावर,
  • आर्गेनिक फार्मिंग,
  • ग्रोथ सेन्टर,
  • कृषि को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे प्रयासों,
  • जंगली जानवरों से खेती को हो रहे नुकसान को रोकने,
  • परम्परागत फसलों के लिए कृषि अनुसंधान परिषद के स्तर पर शोध की व्यवस्था,
  • कृषि उत्पादों की खरीद बिक्री,
  • स्थानीय उत्पादों को मध्यांहन भोजन योजना में सम्मिलित करने,
  • सीमान्त सड़कों के निर्माण,
  • टनकपुर-बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन के विकास,
  • मौसम की सटीक जानकारी हेतु प्रदेश में वेदर स्टेशनों की स्थापना 


मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रतिभाग किया। 
हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल, केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, चारधाम महामार्ग परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना व नमामि गंगे परियोजना के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखण्ड को अपनी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए। मिड-डे मील में मंडुवा, झंगौरा भी शामिल किए जाएं। उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्रों में रोड़ कनेक्टिविटी के साथ एयर व रेल कनेक्टिविटी भी विकसित की जाएं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रतिभाग किया।

उत्तराखण्ड को मिले ईको-सिस्टम सर्विसेज के बदले प्रोत्साहन राशि
बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा अपने दो-तिहाई भू-भाग पर वनों का संरक्षण सुनिश्चित करके राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवायें (ईको-सिस्टम सर्विसेज) प्रदान की जा रही है। इन पर्यावरणीय सेवाओं के लिए हमें अपने विकास के अवसरों का परित्याग करना पड़ रहा है। अतः भारत सरकार से अनुरोध है कि क्षतिपूर्ति अथवा प्रोत्साहन के तौर पर समुचित वित्तीय सहायता राज्य को उपलब्ध करायी जाये। राज्यों की परम्परागत फसलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि मिड-डे-मील में चावल एवं गेहँू के अतिरिक्त राज्यों की परम्परागत फसलें जैसे मंडुवा, झिगौरा इत्यादि को शामिल करना चाहिए।

हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल, केदारनाथ पुनर्निर्माण, चारधाम परियोजना, नमामि गंगे के लिए प्रधानमंत्री का आभार
हिमालयी राज्यों की विशिष्ट भू-भौगोलिक परिस्थितियों पर विचार करने तथा इनकी कठिनाइयों के सम्यक् समाधान के लिए नीति आयोग के अन्तर्गत हिमालयी स्टेट रीजनल काउंसिल का गठन किए जाने पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी आभार व्यक्त किया। केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, चारधाम महामार्ग परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के लिए भी उत्तराखण्ड की ओर से प्रधानमंत्री जी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी परियोजनायें राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए बहुत उपयोगी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे योजना के माध्यम से गंगा व उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में प्रधानमंत्रीजी ने अभूतपूर्व पहल की है। गंगोत्री से लक्ष्मण झूला-ऋषिकेश तक गंगा के जल की गुणवत्ता को क्लास । में वर्गीकृत किया गया है, जो हमारे प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

इन्वेस्टर्स समिट के बाद उत्तराखण्ड में अभी तक 14545 करोड़ का निवेश हो चुका है
उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2018 में प्रथम बार निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें निवेशकों को आकर्षित करने हेतु कई नीतियों प्रख्यापित की गई हैं। अब तक कुल 600 एम.ओ.यू., जिनकी लागत रूपये एक लाख चैबीस हजार करोड़ है, हस्ताक्षरित किये जा चुके हैं। अब तक कुल 109 एम.ओ.यू. के सापेक्ष रू0 चैदह हजार पांच सौ पैंतालिस करोड़ का निवेश हो चुका है।

सौंग बांध से देेहरादून को 30 वर्ष तक होगी अबाध जलापूर्ति
राज्य सरकार द्वारा वर्षा जल संवर्द्धन के लिए विभिन्न जनपदों में जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है। जनपद देहरादून में आगामी 30 वर्षों से भी अधिक समय तक निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित किये जाने के लिए सौंग बाँध पेयजल परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2022 तक 5000 समस्याग्रस्त प्राकृतिक जल óोत को पुनर्जीवित एवं सवंर्द्धित करने का कार्य किया जायेगा। राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा वर्ष 2018-19 में वर्षा जल संचय हेतु कुल 19.22 लाख संरचनायें निर्मित की गयी, जिसमें 11,730 लाख लीटर जल संचय की क्षमता विकसित हुयी है। राज्य सरकार द्वारा बिल्डिंग बाईलाॅज में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है।
कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए महिलाओं के द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से स्थानीय उपज मंडुवा, चैलाई, झिंगौरा इत्यादि से विनिर्मित पोषक आहार ’’ऊर्जा’’ को जनपदों में ही तैयार करके, अतिकुपोषित बच्चों को पूरक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना से होगा कृषि में आमूलचूल परिवर्तन
कृषि सैक्टर के आमूलचूल परिवर्तन हेतु संरचनात्मक सुधारों व कृषकों की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी परियोजना ’राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना’ का शुभारम्भ मा0 प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से रूद्रपुर में किया गया। रू0 3340 करोड़ की इस परियोजना से बेमौसमी सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, फल उत्पादन, सगन्ध पौधों की खेती, भैंस पालन, भेंड एवं बकरी पालन तथा शीत जल मात्स्यकी आदि क्षेत्रों को विशेष रूप से बढ़ावा मिलेगा।

रूरल ग्रोथ सेंटर से होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने हेतु ’’रूरल ग्रोथ सेन्टर्स’’ पर कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक न्याय पंचायत क्षेत्र में, उस क्षेत्र की मुख्य आर्थिकी के अनुरूप नियोजित आर्थिक विकास किया जायेगा। कृषि के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयोग जैसे ट्राउट फार्मिंग, हैम्प कल्टिवेशन एवं प्रोडक्शन, एकीकृत फार्मिंग माॅडल, फार्म मशीनरी बैंक एंव कस्टम हायरिंग सेन्टर्स इत्यादि के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 3900 जैविक क्लस्टर स्वीकृत किये गये हैं। समस्त पर्वतीय विकास खण्डों को अगले पाँच वर्षों में आर्गेनिक विकास खण्डों में परिवर्तित किया जायेगा।

मृदा कार्ड व डीबीटी से खाद इन्पुट सब्सिडी में 140 करोड़ की बचत
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में मृदा कार्ड में दी गयी संस्तुतियों एवं डी.बी.टी. योजना संचालन के उपरान्त उर्वरक खपत में अनुमानतः 20 प्रतिशत तक इनपुट लागत में गिरावट आयी है और खाद की इनपुट सब्सिडी में 140 करोड़ रूपए की बचत हुई है। राज्य सरकार द्वारा, कृषि, औद्यानिकी व उनकी सह-गतिविधियों के लिए 30 वर्ष तक लीज पर भूमि दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। साथ ही समस्त कृषि ऋण एवं कृषि गतिविधियों के लिए कृषकों को एक लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है।

एपीएमसी एक्ट व आवश्यक वस्तु अधिनियम में परिवर्तन पर विचार हो
उत्तराखण्ड राज्य में कृषि व बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखण्ड मण्डी अधिनियम में माडल एक्ट के सापेक्ष निजी मण्डी, संविदा कृषि, कृषक-उपभोक्ता बाजार की व्यवस्था, मण्डी अधिनियम में की गयी है। कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के सम्बन्ध में कृषि क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एपीएमसी एक्ट तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों में मूलभूत परिवर्तन किए जाने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नीति आयोग द्वारा विचारोपरान्त एक चर्चा पत्र तैयार कर राज्यों के साथ विचार-विमर्श करना श्रेयस्कर रहेगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों में रोड़, रेल व एयर कनेक्टिविटी को विकसित करने पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की अन्तर्राष्ट्रीय सीमायें चीन तथा नेपाल से लगी है। सीमावर्ती एवं दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से पलायन राज्य सरकार के समक्ष गम्भीर चुनौती है एवं इस हेतु अवस्थापना सुविधायें जैसे कि सड़क, पानी, बिजली एवं विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए निवेश करने की आवश्यकता है। इन सीमान्त क्षेत्रों में रोड़ कनेक्टिविटी के साथ रेल व एयर कनेक्टिविटी को भी विकसित करना होगा।

………………………………………………………………. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से नई दिल्ली में भेंट कर हरिद्वार में वर्ष 2021 में होने जा रहे महाकुम्भ मेला के लिए भारत सरकार से 5000 करोड़ रूपए की वन टाईम ग्रान्ट दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में हरिद्वार में महाकुम्भ मेले का आयोजन किया जाना है। इसमें देश विदेश से 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। महाकुम्भ मेले में अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं विशेषकर आवास, परिवहन, स्वास्थ्य, स्वच्छता व सुरक्षा आदि में विस्तार करना जरूरी है ताकि मेले का सफल आयोजन सुनिश्चित हो सके। संबंधित विभागों द्वारा अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं के विकास के लिए लगभग 5000 करोड़ रूपए के प्रस्ताव उपलब्ध कराए गए हैं। सभी स्थायी व अस्थायी कार्य अक्टूबर 2020 तक पूर्ण कराया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड राज्य के सीमित आर्थिक संसाधनों को देखते हुए महाकुम्भ मेला 2021 के लिए वनटाईम ग्रान्ट की यथाशीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए।

under namami gange………………..

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत 802 करोड़ 95 लाख रूपए के केंद्र को प्रेषित प्रस्तावों को जल्द स्वीकृत करने का अनुरोध किया। 
सिंचाई विभाग में अवशेष केन्द्रांश 142 करोड़ 52 लाख रूपए व लघु सिंचाई विभाग में केन्द्र पोषित योजनाओं को पूर्ण करने के लिए अवशेष धनराशि 63 करोड़ 57 लाख रूपए यथाशीघ्र अवमुक्त करने का भी आग्रह किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत केंद्र को भेजे गए विभिन्न प्रस्तावों को जल्द स्वीकृत करने का अनुरोध किया। इनमें केदारपुरी क्षेत्र में 67 करोड़ 64 लाख रूपए लागत से सीवेज प्रबंधन, गंगा की सहायक नदियों सुसवा, कोसी, ढ़ेला, कल्याणी, भेला, पिलाखर, नन्दौर व किच्छा में गिरने वाले नालों के प्रदूषित जल के उपचार के लिए 545 करोड़ 14 लाख रूपए लागत की आठ परियोजनाएं, काशीपुर आई.एण्ड डी व एसटीपी की 97 करोड़ 79 लाख रूपए लागत की परियोजना, केदारनाथ यात्रा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण 21 करोड़ 62 लाख रूपए लागत की गौरीकुण्ड सीवेज परियोजना, अगस्तमुनि की 27 करोड़ 17 लाख रूपए लागत की आईएंडडी व एसटीपी परियोजना व शारदा नदी में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए 43 करोड़ 49 लाख रूपए लागत की टनकपुर सीवेज आईएंडडी व एसटीपी परियोजना शामिल हैं।