#JhandaMela, celebrating the history of देहरादून।
25 मार्च, से देहरादून का पूरी दुनिया में प्रसिद्ध ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो रहा है। तकरीबन 350 साल पुराने झंडे मेले के इतिहास में ही देहरादून के जन्म की कहानी जुड़ी है।
देहरादून में होली के पांचवे दिन गुरु राम राय के जन्म दिवस पर झंडा मेला शुरू होता है। ये मेला एक महीने तक चलता है। इस साल श्री झंडे जी के मेले में कम से कम दस लाख लोग देश के पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से पहुंचेंगे।
……………………… जो कथा प्रचलित है, उसके अनुसार सिक्खों के 7वें गुरु हरराय महाराज के जेष्ठ पुत्र गुरुराम राय बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और जन्म के बाद से ही कई चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए। कहा तो ये भी जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब भी गुरु राम राय के चमत्कारिक शक्तियों के कारण उनके अनुयायियों में शामिल था।
गुरु राम राय ने जब उत्तराखंड का रुख किया तो औरंगजेब ने टिहरी नरेश को जमीन देने का आदेश भिजवाया। टिहरी नरेश ने भी ख़ुशी-ख़ुशी मसूरी की तलहटी में 7 गांवों की जमीन गुरुराम राय को दान में दे दी।
वर्ष 1675 में देहरादून के देहराखास गांव के पास गुरु राम राय ने डेरा डाला। कहा जाता है कि इन्हीं सात गांवों का विस्तार बाद में वर्तमान देहरादून बना। इसके बाद देहरादून में गुरु राम राय ने दरबार साहिब और अपना निशान झंडे जी को स्थापित किया।