Lakhwar project pact inked among 6 states ,dehradun uttarakhand
- The Centre and six states of North India signed a memorandum of understanding today for
construction of Lakhwar multi-purpose project in the Upper Yamuna basin in Uttarakhand. - Water Resources Minister Nitin Gadkarisigned the MoU with Uttar Pradesh Chief Minister Yogi
Adityanath, Vasundhara Raje of Rajasthan, Trivendra Singh Rawat of Uttarakhand, Manohar Lal
Khattar of Haryana, Arvind Kejriwal of Delhi, and Himachal Pradesh’s Jai Ram Thakur in Delhi for the
project worth Rs 3,966.51 crore. - The Lakhwar project envisages construction of a 204-metre-high concrete dam across the Yamuna
near Lohari village in Dehradun district of Uttarakhand with a live storage capacity of 330.66 million
cubic metre (MCM). - This storage will provide irrigation to 33,780 hectares of land and availability of 78.83 MCM water for
domestic, drinking and industrial use in the six basin states. - The project, which is to be executed by Uttarakhand Jal Vidyut Nigam Limited (UJVL), will generate
300 MW of power. - Out of the total project cost of Rs 3,966.51 crore, the power component of Rs 1,388.28 crore will be
borne by the Uttarakhand government, which will get the benefit of the total power generation once
the project is complete. - Out of the remaining Rs 2,578.23 crore, which forms the irrigation and drinking water components, 90
per cent will be borne by the Centre (Rs 2,320.41 crore). - The rest 10 per cent will be divided between Haryana – Rs 123.29 crore (47.82 per cent), Uttar
Pradesh and Uttarakhand Rs 86.75 crore (33.65 per cent), Rajasthan – Rs 24.08 crore (9.34 per cent),
Delhi – Rs 15.58 crore (6.04 per cent) and Himachal Pradesh – Rs. 8.13 crore (3.15 per cent), the
ministry said. - Storage created as a result of implementation of Lakhwar project will be shared by the basin states in
proportion to their overall annual allocations as given in the mother MoU signed between the six states
on May 12, 1994. - Uttarakhand, Uttar Pradesh, Himachal Pradesh, Haryana, Rajasthan and Delhi are the six Upper
Yamuna Basin states. - Upper Yamuna refers to the stretch of the Yamuna from its origin to the Okhla Barrage in Delhi.
The six states had signed an MoU on May 12, 1994, regarding allocation of surface flow of Yamuna
river. The agreement had recognised the need to create storage facilities in Upper Yamuna Basin to conserve and utilise the monsoon flows of the river in a regulated manner.
After completion of all these storage projects in Upper Yamuna basin (including Lakhwar), the total
benefits in terms of additional irrigation potential created will be 1,30,856 hectares, water availability
for various uses will be 1,093.83 MCM and power generation capacity will be 1,060 MW. - Stressing that the focus is also on abating pollution in the Yamuna under Clean Ganga Mission,
Gadkari said 34 projects are being taken up on the river out of which 12 are in Delhi, which will ensure
that the water going to Haryana and Rajasthan is “nirmal”. - “While Lakhwar project will provide adequate water to all six States, the interventions being made
under Namami Gange programme will ensure pollution abatement in Yamuna serving the twin
purpose,” he said. - He added that Lakhwar project will not only ensure water availability but also improve irrigation,
generate electricity and fulfil the drinking water needs of all six states.
On Ken-Betwa river-linking project, Gadkari said he was hopeful that an agreement will come out of
the meeting between Chief Ministers of Madhya Pradesh and Uttar Pradesh
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में प्रस्तावित चार हजार करोड़ रुपए की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना के पूरा होने से दिल्ली के साथ ही हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में यमुना तट पर बसे शहरों में जल संकट दूर हो जाएगा।
गडकरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में यहां इस परियोजना के जल बंटवारे जैसे कई मुद्दों को लेकर हुए समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के कारण दिल्ली में अगले दो ढाई दशक में जल का संकट पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि नया साल शुरु होने के बाद हर बार राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पानी की दिक्कत बढ़ने लगती है। नदियों का जल स्तर घटने से जल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती है लेकिन इस बहुद्देश्यीय परियोजना के पूरा होने पर इन राज्यों के यमुना तट पर बसे सभी शहरों में पेय जल संकट नहीं रहेगा और देश की राजधानी दिल्ली को पर्याप्त रूप से पीने का पानी मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में पानी की कमी नहीं है लेकिन पानी के प्रबंधन की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान को जाने वाले पानी का सही से प्रबंधन किया जाए तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में जल संकट को दूर किया जा सकता है।
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना को वित्त आयोग ने 1976 में मंजूरी प्रदान कर दी थी लेकिन अब यह योजना और महत्वपूर्ण हो गयी है। यमुना में जब पानी नहीं होता है इस बांध के बनने से इसकी झील का पानी दिल्ली जैसे राज्यों को मिलेगा और पेयजल संकट को कम किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों के सवालों पर कहा कि यह महत्वपूर्ण परियोजना है और इसमें 90 प्रतिशत धनराशि केंद्र देगा तथा शेष दस प्रतिशत राशि परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस परियोजना के पूरा होने से समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे सभी छह राज्यों को लाभ मिलेगा और देश में बिजली तथा जल संकट को दूर करने में यह परियोजना लाभकारी साबित होगी।
लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना के निर्माण के लिए करीब चार दशक पहले वित्त आयोग की मंजूरी मिल गयी थी और उसके बाद 1994 में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के बीच इसके निर्माण के लिए सहमति बनी थी। उस समय तक उत्तराखंड राज्य का निर्माण नहीं हुआ था और बांध निर्माण क्षेत्र उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। परियोजना को वर्ष 2009 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।
उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर बन रही लखवाड़ परियोजना पर 3966 करोड़ 51 लाख रुपये की लागत आने की उम्मीद है। लखवाड़ परियोजना के तहत 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध के जल से 33 हजार 780 हेक्टेयर भूमि की ङ्क्षसचाई की जा सकेगी। लखवाड़ परियोजना के निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा और इससे 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। परियोजना के पूरा होने से यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा। परियोजना के कुल खर्च का 90 फीसदी केन्द्र सरकार देगी और शेष दस प्रतिशत राशि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले छह राज्यों द्वारा दी जाएगी और उसी के हिसाब से उन्हें ङ्क्षसचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना से मिलने वाले पानी का बंटवारा सभी छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को हुए समझौता के तहत किया जाएगा।
करीब चार हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388 करोड़ 28 लाख रुपये का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी और इसमें तैयार बिजली का पूरा लाभ उत्तराखंड को ही मिलेगा। परियोजना से जुड़े ङ्क्षसचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578 करोड़ 23 लाख रुपये के खर्च का 90 प्रतिशत (2320 करोड़ 41 लाख रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी, जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जायेगा। इसमें हरियाणा को 123 करोड़ 29 लाख रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड प्रत्येक राज्य को 86 करोड़ 75 लाख रुपये, राजस्थान को 24 करोड़ आठ लाख रुपये, दिल्ली को 15 करोड़ 58 लाख रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को आठ करोड़ 13 लाख रुपये देने होंगे।