मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में नव गठित उत्तराखण्ड प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबन्धन और योजना प्राधिकरण (उत्तराखण्ड कैम्पा) की संचालन समिति की प्रथम बैठक आयोजित हुई। बैठक में उत्तराखण्ड कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2019-20 के अन्तर्गत कैम्पा नियमावली में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत अनुमन्य गतिविधियों हेतु कुल लगभग 21500 लाख रूपए की कार्ययोजना अनुमोदित की गयी।
इस कार्ययोजना में मुख्य रूप से मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना मृदा एवं जल संरक्षण के अन्तर्गत इस वित्तीय वर्ष में विभिन्न क्षमताओं के कुल 1600 जल निकायों के सृजन हेतु 450 लाख की धनराशि का प्राविधान किया गया। इसके साथ ही इस मद के अन्तर्गत विभिन्न उपमदों चालखाल, धारा नौला, चैक डैम कंटेर ट्रैंच इत्यादि हेतु लगभग 1400 लाख रूपए की धनराशि के प्राविधान का भी निर्णय लिया गया जबकि नदियों के पुनर्जीवित किये जाने के उद्देश्य से #Almora में कोसी नदी, #Dehradun में रिस्पना नदी एवं अन्य नदियों के जीर्णोंद्धार हेतु कुल 500 लाख की धनराशि प्राविधानित की गयी है।
मुख्य सचिव श्री सिंह ने कहा कि इस योजना के तहत प्राकृतिक वनों के संरक्षण एवं जल श्रोतों के संवर्द्धन, वन्य जीवों के प्राकृतिक आश्रय स्थल के संरक्षण, पारस्थितिकीय संतुलन एवं पर्यावरण सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि के प्रयासों पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने प्रदेश में वनाग्नि सुरक्षा के दृष्टिगत वर्ष 2019 में वनाग्नि काल से पूर्व तत्काल सम्बन्धित क्रियान्वयन अभिकरणों को धनराशि अवमुक्त किये जाने के भी निर्देश दिये ताकि वनाग्नि रोकने के सभी आवश्यक प्रबन्ध यथा समय सुनिश्चित किये जा सके।
मुख्यमंत्री श्री Trivendra Singh Rawat की अध्यक्षता में सचिवालय में वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में वन निवासी अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी पीढ़ियों से इन वनों में निवास कर रहें हैं। उनके अधिकारों को मान्यता दिये जाने के लिये अधिनियम की व्यवस्थाओं के तहत लाभार्थियों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाय। लोगों की कठिनाईयां कम हो इस दिशा में भी तत्परता से कार्य किया जाय। उन्होंने इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का भी संज्ञान लेने को कहा।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास व सामुदायिक सेवा से सम्बन्धित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिये वन, राजस्व, न्याय, समाज कल्याण, जिलाधिकारी ऊधम सिंह नगर की एक समिति गठित की जाय। समिति में विधायक केदार सिंह के साथ ही वन अधिकार के जानकार लोगों को भी इसमें सम्मिलित किया जाय।
उन्होंने कहा कि यह समिति इस सम्बन्ध में समय समय पर भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों, अधिनियम की व्यवस्थाओं का विस्तृत अध्ययन कर विभिन्न स्तरों पर आ रही समस्याओं का निराकरण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी तथा समस्याओं का समाधान भी करेगी। उन्होंने समय-समय पर जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समस्याओं के समाधान हेतु अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण तथा प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिये।
बैठक में मुख्यमंत्री ने वन अधिकार अधिनियम के प्राविधानों के क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर, उपखण्ड स्तर, जिला स्तर पर जिलास्तरीय समिति तथा राज्य स्तर पर गठित निगरानी समिति की बैठकें भी समय-समय पर आयोजित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि ग्रामस्तर से राज्य स्तर तक गठित चार समितियों की नियमित बैठक होने से समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी।