गैरसैंण बजट सत्र: उत्तराखंड का पहला आर्थिक सर्वेक्षण हुआ पेश

गैरसैंण बजट सत्र: उत्तराखंड का पहला आर्थिक सर्वेक्षण हुआ पेश

आर्थिक सर्वेक्षण : एक नजर
-राज्य में अधिकांश विस्थापन (54.35 प्रतिशत)  ग्रामीण क्षेत्रों से हुआ।
-उत्तराखंड में कुल 23 किमी वन क्षेत्र में वृद्धि।
-सबसे ज्यादा पौड़ी गढ़वाल में और सबसे कम उत्तरकाशी जनपद में बढ़े जंगल।
-राज्य में 5000 होम स्टे स्थापित होंगे।
-2017 में 3 करोड़ 47 लाख 23 हजार  पर्यटक आए।
-राज्य में रेस्ट हाउस, होटल व धर्मशालाओं में 3,01185 बिस्तरों की क्षमता।
-प्रदेश में19648 प्राथमिक विद्यालय, जिनमें 754816 छात्र नामांकित।
-3663 माध्यमिक विद्यालयों में 45,679 छात्र
-आंगनबाड़ी केंद्रों में 10,65,399 लाभार्थी पंजीकृत।
-उत्तराखंड में श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी ग्रामीण क्षेत्र में 31.5 प्रतिशत है।
-यूपी और राष्ट्रीय औसत से अधिक, लेकिन हिमाचल (52.9 प्रतिशत) से कम है।
ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह बने भराड़ीसैंण में बजट सत्र के दौरान एक और उपलब्धि इतिहास में दर्ज हो गई है। राज्य गठन के बाद प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड का पहला आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा के पटल पर रखा। लंबे समय से नियोजन विभाग आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट लाने का प्रयास कर रहा था।

आखिरकार उसे पहली रिपोर्ट तैयार करने में कामयाबी मिली। सर्वेक्षण में प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति की तस्वीर बयान की गई है। तुलनात्मक आंकड़ों के जरिए रिपोर्ट में पहाड़ और मैदान के मध्य आर्थिक और सामाजिक विषमता को दर्शाया गया है। साथ ही राज्य की आर्थिकी में वन संपदा के वास्तविक योगदान को शामिल किए जाने की आवश्यकता भी जताई गई है।
सर्वेक्षण का यह तथ्य चौंकाता है कि राज्य वन संपदा और इको सर्विस की फ्लो वैल्यू 95,102.7 करोड़ रुपये की है, जबकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में उसका महज 3.64 फीसदी का ही योगदान है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में औसत से ज्यादा बेरोजगार है। राज्य में बेरोजगारी की दर सात फीसदी बताई गई है।
सर्वेक्षण में राज्य की जीडीपी में गिरावट का अनुमान लगाया गया है तो पिछले एक साल में होम स्टे पॉलिसी, उड़ान योजना, शिक्षा, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया गया है।
पहाड़ और मैदान में आर्थिक विषमता के हालात
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में मैदानी और शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी तथा अन्य सामाजिक विषमताएं ज्यादा हैं। यानी पहाड़ और ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहर ज्यादा समृद्ध और अमीर हैं।
प्रतिव्यक्ति आय में हरिद्वार अव्वल, उत्तरकाशी फिसड्ड़ी
प्रतिव्यक्ति आय के मामले में हरिद्वार जनपद प्रदेश में सबसे आगे है। जनपद में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 2,54,050 रुपये आंकी गई है, जबकि राज्य की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1,77,356 होने का अनुमान है।
प्रदेश में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय 83,521 रुपये उत्तरकाशी की है।
राज्य की विकास दर में गिरावट के आसार
आर्थिक सर्वेक्षण में एक साल के दौरान राज्य की आर्थिक विकास दर में गिरावट का अनुमान है। वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.95 से घटकर 6.77 प्रतिशत हो सकती है।
सकल घरेलू उत्पाद में होगी बढ़ोतरी  
एक साल के दौरान स्थिर भावों पर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (एजीडीपी) में 6.77 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। पिछले साल राज्य एसजीडीपी 1,95,606 करोड़ होने का अनुमान था, जिसके बढ़कर 2,17,609 करोड़ रुपये तक होने की संभावना है।
हरिद्वार में सबसे ज्यादा, रुद्रप्रयाग में सबसे कम
प्रचलित भाव पर हरिद्वार का सकल घरेलू उत्पाद प्रदेश में सबसे अधिक 58,16824 करोड़ तथा रुद्रप्रयाग का सबसे कम 2,510.40 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
कृषि और पशुपालन की हालत बुरी
प्रदेश में प्राथमिक सेक्टर में शामिल कृषि और पशुपालन, खनन, उत्खनन, वानिकी की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। स्थिर भाव पर इस सेक्टर की सालाना बढ़ोतरी दर महज 2.61 प्रतिशत आंकी गई है। वानिकी में निगेटिव (-3.19 प्रतिशत) ग्रोथ है। इस साल इस सेक्टर के अर्थव्यवस्था में 10.50 प्रतिशत के योगदान है।
निर्माण, बिजली, जलापूर्ति में कुछ सुधार
सर्वेक्षण में सेकेंडरी सेक्टर में शामिल विनिर्माण, बिजली, जलापूर्ति में कुछ प्रगति जरूर है। स्थिर मूल्य पर इन सभी क्षेत्रों में पिछले वर्ष 7.92 फीसदी की औसत दर से बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। अर्थव्यवस्था में इस सेक्टर का सर्वाधिक 49.74 प्रतिशत का योगदान रहा।
परिहवन, व्यापार होटल सेक्टर में भी मामूली सुधार
रिपोर्ट के अनुसार तृतीय क्षेत्र में शामिल परिवहन, व्यापार, होटल सेक्टर की विकास दर में भी मामूली सुधार का अनुमान है। स्थिर मूल्यों पर वर्ष 2016-17 के दौरान इस सेक्टर की बढ़ोतरी दर 6.98 प्रतिशत का आकलन किया गया है। इस सेक्टर का इस साल 12.27 प्रतिशत का योगदान है।
प्रदेश के जीडीपी की छह गुना है फॉरेस्ट वैल्यू
रिपोर्ट के मुताबिक वन संपदा का मूल्य प्रदेश के जीडीपी का छह गुना है, जबकि प्रदेश के जीडीपी में वन क्षेत्र का महज 3.64 फीसदी का ही योगदान है। पर्यावरणीय पारिस्थितिकीय सेवाओं के मूल्यांकन एवं आकलन के अनुसार वन क्षेत्र से कुल 95,102.7 करोड़ रुपये की फ्लो वैल्यू है। इसमें वन क्षेत्र के विभिन्न टिंबर कार्बन स्टॉाक तथा भूमि मूल्य को जोड़ दें तो कुल स्टॉक वैल्यू  13,60,028 करोड़ रुपये हो जाती है। रिपोर्ट सरकार से आय बढ़ाने की दिशा में विशेष प्रयास करने की वकालत करती है।
बेरोजगारी की दर सात फीसदी
प्रदेश में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत पांच फीसदी से अधिक है। राज्य में बेरोजगारी की दर सात फीसदी है। सर्वेक्षण में चंडीगढ़ लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि वर्ष 2015-16 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सात फीसदी ऐसे व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा सका जो काम करने के इच्छुक थे। ग्रामीण क्षेत्र में यह 8.1 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र में 3.2 प्रतिशत है। महिलाओं की बेरोजगारी दर 11.3 फीसदी है, जो पुरुषों की बेरोजगारी दर (छह फीसदी) से काफी अधिक है।
सड़कें कम और वाहन ज्यादा
प्रदेश में जिस रफ्तार से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में पक्की सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2017 तक प्रदेश में 43,762 किमी सड़कें बन चुकी हैं, जबकि दिसंबर तक सड़कों पर वाहनों की संख्या 24.52 लाख हो चुकी है। पिछले 16 वर्षों में पक्की सड़कों का निर्माण जहां 1.7 फीसदी की दर से हुआ, वहीं वाहनों की संख्या में छह गुना दर से बढ़ी। इनमें 90 फीसदी निजी वाहन हैं।
पहली बार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट लाकर सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है। रिपोर्ट के जरिए राज्य के आर्थिक हालातों को सामने रखा गया है। इससे आकलन के बाद उन क्षेत्रों पर खास फोकस करने में मदद मिलेगी, जो कमजोर हैं। नियोजन विभाग का यह सराहनीय कार्य है।
– प्रकाश पंत, वित्त मंत्री।